पहलगाम आतंकी हमले पर राहुल का बड़ा बयान

राहुल गांधी का पहलगाम आतंकी हमले पर कड़ा बयान 28 मौतों के बाद राहुल बोले - मोदी सरकार बदला ले, विपक्ष का समर्थन पूरा, अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम जरूरी. राहुल गांधी |

राहुल गांधी का पहलगाम आतंकी हमले पर कड़ा बयान

28 मौतों के बाद राहुल बोले - मोदी सरकार बदला ले, विपक्ष का समर्थन पूरा, अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम जरूरी

नई दिल्ली, 29 अप्रैल 2025 — जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमला अब तक का सबसे भयानक आतंकवादी हमला बन गया है जिसमें 28 निर्दोष नागरिकों की मौत हो चुकी है। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। राहुल गांधी ने इस हमले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मोदी सरकार से कड़ा रुख अपनाने की मांग की है।

राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं हो सकता। अगर मोदी सरकार को बड़ा कदम उठाना है तो विपक्ष का समर्थन पूरी तरह उसके साथ है। 28 मौतों का बदला लिया जाना चाहिए।"

घटना के अगले दिन देश भर में विरोध प्रदर्शन और कैंडल मार्च निकाले गए। आतंकियों द्वारा किया गया यह आतंकवाद का कृत्य न सिर्फ निर्दोषों की जान ले गया, बल्कि एक बार फिर हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर गया है।

गृहमंत्रालय के अनुसार, यह पहलगाम हमला पूरी तरह से सुनियोजित था और इसमें पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन शामिल हो सकते हैं। सेना ने पूरे इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया है।

इस दौरान राहुल गांधी का बयान राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बन गया है क्योंकि उन्होंने न केवल हमले की निंदा की बल्कि मोदी सरकार को हरसंभव सहयोग देने की पेशकश की। उन्होंने कहा, "अब वक्त है कि हम राजनीतिक भेदभाव भूलकर आतंक के खिलाफ एकजुट हों।"

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से अब सरकार के सामने कई विकल्प हैं — सैन्य कार्रवाई, कूटनीतिक दबाव, और आतंकी नेटवर्क पर आंतरिक कार्रवाई। सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने सेना और खुफिया एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी है।

28 मौतें केवल आंकड़े नहीं हैं, ये हर भारतीय के दिल को चोट देने वाली त्रासदी है। इन मौतों का बदला न लेना भारत की कमजोरी मानी जाएगी। यही बात राहुल गांधी ने भी अपने बयान में दोहराई।

कांग्रेस, तृणमूल, एनसीपी और अन्य दलों ने भी विपक्ष का समर्थन दोहराया है और कहा है कि इस हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।

दूसरी ओर, बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गांधी के कड़ा रुख अपनाने के बयान का स्वागत किया है और कहा है कि सरकार जल्द ही प्रभावशाली कदम उठाएगी।

जनता की ओर से भी सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि जब आतंकवाद की जानकारी पहले से थी, तो उसे रोका क्यों नहीं गया? यह राष्ट्रीय सुरक्षा की असफलता नहीं तो और क्या है?

मोदी सरकार पर अब यह जिम्मेदारी है कि वह राजनीतिक समर्थन का लाभ उठाते हुए ठोस निर्णय ले। राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा खुले तौर पर विपक्ष का समर्थन देने से यह स्पष्ट हो गया है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है।

निष्कर्षतः, यह हमला केवल एक और आतंकी घटना नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गहरी चुनौती है। राहुल गांधी का कड़ा रुख और मोदी सरकार की आगे की रणनीति यह तय करेगी कि क्या 28 शहीदों को न्याय मिलेगा और बदला लिया जाएगा या नहीं।

पहलगाम आतंकी हमले पर राहुल का बड़ा बयान

मोदी सरकार समय बर्बाद न करे, बड़े से बड़ा फैसला ले, विपक्ष का पूरा समर्थन है, 28 मौतों का बदला लो: राहुल गांधी

नई दिल्ली/पहलगाम, 29 अप्रैल 2025 — जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हाल ही में हुए भयानक आतंकी हमले के बाद राजनीतिक हलकों में उबाल है। इस हमले में अब तक 28 लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हैं। पूरे देश में शोक और आक्रोश का माहौल है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग करते हुए एक बड़ा बयान दिया है।

राहुल गांधी ने कहा, "मोदी सरकार अब समय बर्बाद न करे। अगर बड़े से बड़ा फैसला लेना है, तो कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष सरकार के साथ खड़ा है। 28 भारतीयों की शहादत का बदला लिया जाना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि इस वक्त राजनीतिक मतभेदों को छोड़कर पूरे देश को एक साथ खड़ा होना चाहिए।

गौरतलब है कि 27 अप्रैल की शाम को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में आतंकियों ने एक स्थानीय बस पर घात लगाकर हमला किया। बस में यात्रियों के अलावा कुछ सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे। हमले में भारी गोलीबारी और ग्रेनेड विस्फोटों का उपयोग किया गया, जिससे जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, हमला बेहद सुनियोजित था और पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ इसमें होने की आशंका है। सेना और पुलिस ने इलाके में सघन तलाशी अभियान चलाया है, लेकिन हमलावर अभी तक फरार हैं।

राहुल गांधी ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, यह पूरे देश की जिम्मेदारी है। देश की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं हो सकता। अगर सरकार जवाबी कार्रवाई की योजना बना रही है, तो विपक्ष उसका समर्थन करेगा।"

इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी ने भी राहुल गांधी की टिप्पणी का स्वागत किया है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, "राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में सभी राजनीतिक दलों का साथ आना लोकतंत्र की ताकत है। हम बदले की कार्रवाई की योजना बना रहे हैं।"

सैन्य सूत्रों के अनुसार, नियंत्रण रेखा (LoC) पर सेना को अलर्ट कर दिया गया है और विशेष कमांडो यूनिट को कश्मीर घाटी में भेजा गया है। खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है कि हमले के पीछे सीमा पार से निर्देशित स्लीपर सेल का हाथ हो सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, "हर भारतीय की जान की कीमत है, और हम इसे दुनिया को दिखा देंगे। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई और तेज़ होगी।"

विपक्ष के समर्थन से मोदी सरकार को अब राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में बड़े बदलाव करने का राजनीतिक साहस मिल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल गांधी का यह बयान एक ऐतिहासिक क्षण हो सकता है, जहाँ सरकार और विपक्ष एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई कर सकते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, राहुल गांधी ने इस हमले को राष्ट्रीय शर्म करार दिया और कहा कि "अब कड़े फैसले लेने का समय है। हमें केवल निंदा से आगे बढ़ना होगा।" उन्होंने यह भी कहा कि "भारत की जनता इस बार कमजोर प्रतिक्रिया को स्वीकार नहीं करेगी।"

राहुल गांधी के इस बयान ने विपक्षी एकता को भी मजबूती दी है। तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, समाजवादी पार्टी और आप पार्टी जैसे दलों ने भी सरकार के साथ खड़े होने का वादा किया है।

इस बीच शहीदों के परिवारों ने सरकार से न्याय की गुहार लगाई है। कई परिवारों ने कहा है कि केवल मुआवज़ा पर्याप्त नहीं है, उन्हें न्याय चाहिए — और वह न्याय तब मिलेगा जब आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

सरकार के उच्चस्तरीय सूत्रों ने संकेत दिया है कि एक विशेष कैबिनेट बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी, जिसमें जवाबी कार्रवाई की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। साथ ही पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों की समीक्षा भी संभव है।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी इस आतंकी हमले का मुद्दा उठाया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान पर दबाव बनाने की अपील की है। अमेरिका, फ्रांस, रूस और जापान ने हमले की निंदा की है और भारत के साथ एकजुटता जताई है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा है कि "हमारी एजेंसियां सतर्क हैं। हम जल्द ही दोषियों को पकड़ लेंगे या उनका सफाया करेंगे।" उन्होंने यह भी बताया कि इस हमले की जांच एनआईए को सौंप दी गई है।

समाचार एजेंसी के अनुसार, कश्मीर घाटी में इंटरनेट सेवा अस्थाई रूप से बंद कर दी गई है और धारा 144 लागू की गई है ताकि अफवाहें न फैल सकें। आम जनता से भी सतर्क रहने की अपील की गई है।

इस समय पूरे देश की निगाहें केंद्र सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। जनता यह देखना चाहती है कि 28 शहीदों की शहादत का बदला कैसे लिया जाएगा। राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं के समर्थन के बाद मोदी सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।

समाप्ति पर, यह स्पष्ट है कि पहलगाम हमला केवल एक आतंकी हमला नहीं बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक चुनौती है। सरकार और विपक्ष दोनों को अब यह दिखाना होगा कि जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो राजनीतिक मतभेद गौण हो जाते हैं।

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