HAU हिसार: छात्रों की सभी मांगें मानी गईं, कुलपति लंबी छुट्टी पर
📍स्थान: हिसार, हरियाणा
📅 दिनांक: 25 जून 2025
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), हिसार से जुड़ा छात्र आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। छात्रों की लगातार कई दिनों से चल रही मांगों के बाद आखिरकार सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच सहमति बन गई है।
कुलपति डॉ. बी. आर. कम्बोज को 6 महीने की छुट्टी पर भेजा गया
छात्रों की प्रमुख मांग थी कि वर्तमान कुलपति डॉ. बी.आर. कम्बोज को पद से हटाया जाए। सरकार ने इस मांग को स्वीकार करते हुए उन्हें 6 महीने की लंबी छुट्टी पर भेजने का फैसला लिया है। इस दौरान विश्वविद्यालय के प्रशासन की जिम्मेदारी कार्यवाहक कुलपति को सौंपी जाएगी।
न्यायिक जांच के लिए बनेगी रिटायर्ड जज की कमेटी
छात्रों के आरोपों और शिकायतों की गहराई से जांच करने के लिए सरकार ने यह भी घोषणा की है कि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र जांच कमेटी गठित की जाएगी। यह कमेटी विश्वविद्यालय में बीते महीनों में हुए घटनाक्रमों, प्रशासनिक अनियमितताओं और छात्रों के साथ हुए व्यवहार की जांच करेगी।
अब भी जारी रहेगा छात्रों का धरना
छात्र संगठनों ने साफ कर दिया है कि जब तक सभी मांगों को औपचारिक रूप से आदेश पत्र के माध्यम से लागू नहीं किया जाता, धरना स्थल पर आंदोलन जारी रहेगा। छात्रों का कहना है कि वाइस चांसलर की छुट्टी पहला कदम है, लेकिन जब तक न्यायिक जांच शुरू नहीं होती और अन्य समस्याओं का समाधान नहीं होता, वे पीछे नहीं हटेंगे।
क्या था मामला?
पिछले कुछ सप्ताहों से HAU के छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। छात्रों ने कुलपति पर मनमानी, तानाशाही रवैया, छात्र हितों की अनदेखी, अकादमिक फैसलों में पक्षपात और प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी जैसे गंभीर आरोप लगाए थे।
हालात तब बिगड़े जब छात्रों को परिसर में प्रदर्शन करने से रोका गया और कुछ छात्रों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार हुआ। इसके बाद मामला प्रदेशभर में चर्चा का विषय बन गया और विभिन्न छात्र संगठनों ने एकजुट होकर आंदोलन को गति दी।
सरकार की भूमिका और मध्यस्थता
सरकार ने पहले तो मामले को विश्वविद्यालय का आंतरिक मामला बताया, लेकिन छात्रों की संख्या और दबाव बढ़ता देख शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को वार्ता के लिए भेजा गया। लंबी बातचीत के बाद छात्रों की मांगों को जायज मानते हुए यह सहमति बनी कि:
- वर्तमान कुलपति को छुट्टी पर भेजा जाएगा।
- स्वतंत्र जांच के लिए न्यायिक कमेटी बनाई जाएगी।
- छात्रों पर दर्ज किसी भी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई को रोका जाएगा।
छात्रों की प्रतिक्रिया
छात्र नेताओं ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसे "सत्य की जीत" बताया है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल HAU नहीं, बल्कि पूरे राज्य के छात्रों के अधिकारों की लड़ाई है। वे चाहते हैं कि उच्च शिक्षा संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।
निष्कर्ष
HAU विश्वविद्यालय में जो स्थिति बनी थी, वह पूरे राज्य के लिए चिंता का विषय बन गई थी। सरकार द्वारा की गई कार्रवाइयां सराहनीय हैं, लेकिन अब सभी की निगाहें न्यायिक जांच की निष्पक्षता और समयसीमा पर टिकी हैं। छात्रों की आवाज को सम्मान देना लोकतंत्र की ताकत है, और इस प्रकरण ने यही साबित किया है।
📢 यह केवल एक जीत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है – शिक्षा के अधिकार और पारदर्शी प्रशासन की दिशा में।