MP: जल संरक्षण बैठक में अफसरों ने खाए 13 किलो ड्राई फ्रूट, एक घंटे का बिल ₹19,000
शहडोल (मध्य प्रदेश), 11 जुलाई: मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के भदवाही गांव में जल संरक्षण अभियान के तहत आयोजित एक सरकारी बैठक में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। एक घंटे की इस बैठक में अफसरों ने 13 किलो ड्राई फ्रूट खा डाले और इसका बिल ₹19,000 का बन गया। यही नहीं, ₹5,260 का एक अन्य बिल भी सामने आया है जिसमें विशेष रूप से घी की आपूर्ति शामिल थी।
जल संरक्षण पर बैठक, लेकिन खर्च का कोई नियंत्रण नहीं
यह बैठक भदवाही पंचायत में जल संरक्षण जागरूकता अभियान के तहत आयोजित की गई थी। अधिकारियों, कर्मचारियों और पंचायती प्रतिनिधियों की मौजूदगी में यह कार्यक्रम महज एक घंटे चला, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में दर्शाए गए खर्च ने सबको चौंका दिया।
RTI के माध्यम से सामने आई जानकारी के अनुसार, इस कार्यक्रम में 13 किलो ड्राई फ्रूट (काजू, बादाम, किशमिश, अखरोट) पर ₹19,000 का बिल बनाया गया। इसके अलावा, अलग से ₹5,260 का बिल घी और अन्य “विशेष वस्तुओं” के नाम पर जोड़ा गया।
जनता में रोष, सोशल मीडिया पर आलोचना
घटना के सामने आते ही सोशल मीडिया पर आम नागरिकों का गुस्सा फूट पड़ा। ट्विटर और फेसबुक पर मीम्स की बाढ़ आ गई और लोगों ने अफसरों की "ड्राई फ्रूट पार्टी" पर तंज कसते हुए सवाल पूछा कि क्या जल संरक्षण पर चर्चा करने के लिए इतनी भारी-भरकम मेहमाननवाजी जरूरी थी?
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने कहा कि जहां गांवों में लोग पीने के पानी को तरसते हैं, वहीं अधिकारी जल संरक्षण के नाम पर मलाईदार भोज कर रहे हैं।
प्रशासन की सफाई और जांच का आदेश
बढ़ते विवाद के बीच जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रशासन का कहना है कि यदि बिल में गड़बड़ी या फर्जीवाड़ा पाया गया, तो संबंधित अधिकारियों और सप्लायरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिला पंचायत सीईओ ने भी प्रारंभिक रिपोर्ट तलब की है और पंचायत सचिव से स्पष्टीकरण मांगा है कि बैठक में 13 किलो ड्राई फ्रूट की खपत कैसे हुई, जबकि कार्यक्रम एक घंटे से अधिक नहीं चला।
पिछले मामलों से जोड़कर देख रही जनता
यह कोई पहली बार नहीं है जब सरकारी कार्यक्रमों में खानपान के नाम पर बेहिसाब खर्च सामने आया है। मध्य प्रदेश में पहले भी कई बार आयोजनों में चाय, समोसे और मिठाई के बिल लाखों में आने की खबरें सामने आती रही हैं।
जनता अब सवाल कर रही है कि जब जल संरक्षण जैसे गंभीर विषय पर सरकारी स्तर पर चर्चा हो रही हो, तब प्रशासन को आदर्श और मितव्ययी व्यवहार अपनाना चाहिए।
निष्कर्ष
भदवाही गांव में हुई यह घटना न सिर्फ प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे गंभीर विषयों पर भी दिखावे और अतिथि सत्कार की आड़ में जनता के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है। यदि सरकार और अधिकारी सच में जल संरक्षण के प्रति गंभीर हैं, तो उन्हें पहले आत्मसंयम दिखाना होगा।
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