वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेई का यूट्यूब चैनल बंद

Today News update वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेई का यूट्यूब चैनल बंद चैनल से निकाले जाने के बाद अब वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेई का यूट्यूब चैनल भी बंद कर दिया गया है

वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेई का यूट्यूब चैनल बंद

नई दिल्ली। देश के चर्चित और निर्भीक पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेई एक बार फिर खबरों में हैं। पहले उन्हें मुख्यधारा के चैनल से हटाया गया और अब उनका यूट्यूब चैनल भी बंद कर दिया गया है। इस घटना को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कई लोगों ने इसे प्रेस की आजादी पर हमला बताया है।

चैनल से निकाले जाने के बाद यूट्यूब पर सक्रिय थे

ज्ञात हो कि पुण्य प्रसून वाजपेई पहले भी कई बार सत्ता विरोधी रुख के कारण प्रमुख चैनलों से निकाले जा चुके हैं। इसके बाद उन्होंने यूट्यूब के माध्यम से अपनी पत्रकारिता को आगे बढ़ाया और जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों को बेबाकी से उठाया।

हाल ही में उनके यूट्यूब चैनल 'Punya Prasoon Vajpayee' को बंद कर दिया गया है। यह चैनल लाखों सब्सक्राइबर्स वाला था और इस पर विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और समसामयिक विषयों पर विश्लेषणात्मक वीडियो डाले जाते थे।

चैनल बंद होने के पीछे कारण स्पष्ट नहीं

अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यूट्यूब चैनल को क्यों बंद किया गया। यूट्यूब की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और न ही पुण्य प्रसून वाजपेई की ओर से कोई विस्तृत प्रतिक्रिया दी गई है। हालांकि, उनके समर्थकों और मीडिया जगत के कई वरिष्ठों ने इसे का संकेत बताया है।

मीडिया जगत में तीखी प्रतिक्रिया

पुण्य प्रसून वाजपेई के यूट्यूब चैनल के बंद होने की खबर आते ही पत्रकारिता जगत में हलचल मच गई है। कई पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विचारकों ने इस पर चिंता जताई है। सोशल मीडिया पर हैशटैग #StandWithPPV ट्रेंड करने लगा है।

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने इस घटना पर कहा, "जब स्वतंत्र आवाजों को दबाने की कोशिश की जाती है, तो लोकतंत्र की आत्मा कराह उठती है।" वहीं कई यूजर्स ने कहा कि यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चोट है।

प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रश्न

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब देश में पत्रकारों की भूमिका पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं और कई पत्रकार राजनीतिक दबावों का सामना कर रहे हैं। पुण्य प्रसून वाजपेई उन गिने-चुने पत्रकारों में से हैं जो बिना झुके सत्ताधारी व्यवस्था से सवाल करते आए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही क्रम जारी रहा तो भारत में स्वतंत्र पत्रकारिता का भविष्य संकट में पड़ सकता है।

पुनः सक्रियता की उम्मीद

पुण्य प्रसून वाजपेई के समर्थकों को उम्मीद है कि वे जल्द ही किसी नए प्लेटफॉर्म या माध्यम से अपने विचार और पत्रकारिता को जारी रखेंगे। कई लोगों ने उन्हें समर्थन और सहयोग देने की बात भी कही है।

निष्कर्ष: वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेई का यूट्यूब चैनल बंद होना सिर्फ एक व्यक्ति की मीडिया यात्रा में रुकावट नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी के सामने खड़े होते खतरे की एक बड़ी मिसाल बनता जा रहा है।

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