हरियाणा के 11 जिलों में 7 मई को मॉक ड्रिल: ब्लैकआउट, सायरन और सुरक्षा अभ्यास
देशभर में सुरक्षा अभ्यास को और मजबूत करने के उद्देश्य से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 7 मई 2025 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मॉक ड्रिल करवाने के निर्देश जारी किए हैं। खासकर भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इस मॉक ड्रिल को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है।
हरियाणा सरकार ने भी इस दिशा में सक्रियता दिखाते हुए राज्य के 11 प्रमुख जिलों में इस ड्रिल का आयोजन तय किया है।
- अंबाला
- फरीदाबाद
- गुरुग्राम
- हिसार
- पंचकूला
- पानीपत
- रोहतक
- सिरसा
- सोनीपत
- यमुनानगर
- झज्जर
कैटेगरी के अनुसार जिले वर्गीकृत
केंद्र सरकार की 2005 की सूची के अनुसार हरियाणा के इन जिलों को सिविल डिफेंस के हिसाब से दो श्रेणियों में बांटा गया है:
- सेकेंड कैटेगरी (10 जिले): अंबाला, फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, पंचकूला, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर
- थर्ड कैटेगरी (1 जिला): झज्जर
इन सभी जिलों में रात में ब्लैकआउट, सायरन बजना और आपात स्थिति का अनुकरण किया जाएगा। हालांकि, समय अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। सभी शहरों का समय अलग-अलग हो सकता है।
कौन-कौन लेगा मॉक ड्रिल में हिस्सा?
इस अभ्यास में सिर्फ सुरक्षा एजेंसियां ही नहीं, बल्कि समाज के कई वर्ग हिस्सा लेंगे, जिनमें शामिल हैं:
- स्थानीय प्रशासन
- सिविल डिफेंस वार्डन
- होम गार्ड्स
- एनसीसी (National Cadet Corps)
- एनएसएस (National Service Scheme)
- नेहरू युवा केंद्र संगठन
- स्कूल और कॉलेजों के छात्र-छात्राएं
यह भागीदारी इस बात का संकेत है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ सैनिकों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आम नागरिक भी इसमें बराबरी से शामिल होते हैं।
ड्रिल के दौरान क्या-क्या होगा?
मॉक ड्रिल के दौरान नागरिकों को सिखाया जाएगा कि हवाई हमले की स्थिति में क्या करना है:
- सायरन (हूटर) बजेगा जो खतरे की चेतावनी देगा।
- सभी को घर की लाइटें, मोबाइल टॉर्च, रोड लाइट आदि बंद करनी होंगी।
- एनएचएआई, टोल और हाईवे लाइटें भी बंद की जाएंगी।
- ब्लैकआउट की स्थिति में कमरे में सुरक्षित रहना, शीशे से दूर रहना सिखाया जाएगा।
- आपसी सहयोग और घायलों को प्राथमिक उपचार देने की प्रक्रिया भी समझाई जाएगी।
इतिहास में पहली बार इतने व्यापक स्तर पर मॉक ड्रिल
ऐसी मॉक ड्रिल पिछली बार भारत में 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय की गई थी। उस समय राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में नागरिकों को अलर्ट किया गया था। अब 50 साल बाद यह मॉक ड्रिल दोबारा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है, जिसमें सिविल डिफेंस पर जोर दिया जा रहा है।
ड्रिल का उद्देश्य
इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य है:
- हवाई हमले जैसी आपात स्थिति में नागरिकों की तैयारियों को जांचना।
- सामूहिक सहयोग और सामुदायिक चेतना को बढ़ाना।
- सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों को अभ्यास में लाना।
- युवाओं और बच्चों में सुरक्षा जागरूकता पैदा करना।
निष्कर्ष
7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि राष्ट्र की सामूहिक सुरक्षा की तैयारी का एक बड़ा कदम है। इसमें सरकार, प्रशासन, युवा और आम नागरिक एक साथ मिलकर भाग लेंगे। यह अभ्यास दर्शाता है कि हम किसी भी संकट से निपटने के लिए मानसिक और सामाजिक रूप से तैयार हैं।
याद रखें: जागरूक नागरिक ही मजबूत देश की नींव होते हैं।