थाईलैंड-कंबोडिया शांति वार्ता: मलेशिया में नई शुरुआत

Today News update अंतरराष्ट्रीय घटनाएं 28 जुलाई 2025 | थाईलैंड-कंबोडिया शांति वार्ता, पीएम मोदी मालदीव यात्रा, भारत-चीन संबंध

28 जुलाई 2025 की अंतरराष्ट्रीय मुख्य घटनाएं

थाईलैंड-कंबोडिया शांति वार्ता: मलेशिया में नई शुरुआत

मलेशिया के पुतराजया में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच उच्च स्तरीय शांति वार्ता सोमवार को शुरू हुई। दोनों देश अपनी असंतुलित सीमा पर जारी रक्तपात और भिड़ंत (टकराव) को रोकते हुए तत्काल संघर्षविराम स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। अप्रैल–मई में सीमा के पास हुए टकराव में दर्जनों सैनिक एवं नागरिक मारे गए और 2 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए। वार्ता की मध्यस्थता मलेशियन प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम कर रहे हैं, जो वर्तमान में ASEAN अध्यक्ष भी हैं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका और चीन के राजदूत भी वार्ता में बतौर प्रेक्षक शामिल हैं, जिससे संघर्ष समाधान में अंतरराष्ट्रीय रुचि साफ झलकती है।
इस सीमा विवाद की जड़ें 1907 की फ्रांसीसी उपनिवेश में शामिल भू-सीमा से जुड़ी हैं, जिसे दोनों देश पूर्णतः अपना मानते हैं। समय-समय पर यह विवाद 2008-11 जैसे रक्तरंजित दौर में तब्दील हो जाता है। ताजे संघर्ष के बाद ASEAN एकजुटता की परीक्षा भी हो रही है।
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प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा: सामरिक भागीदारी नई ऊँचाइयों पर

25-26 जुलाई 2025 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मालदीव का दो-दिवसीय राज्य दौरा किया। यह उनकी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली मालदीव यात्रा थी और वे मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ पर सम्मानित अतिथि भी रहे।
श्री मोदी ने 565 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन की घोषणा की, जो मालदीव के इन्फ्रास्ट्रक्चर – सड़कों, जल-निकासी, रक्षा भवन, आवास योजना और डिजिटल परियोजनाओं – में निवेश के लिए है। इसके अलावा, रक्षा सहयोग हेतु नए समझौते, निवेश, मत्स्य, डिजिटलाइजेशन व अन्य क्षेत्रों में चार MoU भी हुए।
बीते वर्षों में मालदीव का झुकाव चीन की ओर बढ़ा था, जिससे भारत और मालदीव संबंधों में कुछ समय के लिए ठंडक आ गयी थी। लेकिन अब राष्ट्रपति मुज्जू ने भी अपने रुख में नरमी लाई और दोनों देशों ने फिर से 'मल्टी-डाइमेंशनल पार्टनरशिप' को स्थापित किया है।
भारत ने हमेशा 'नेबरहुड फर्स्ट' संकल्पना के तहत मालदीव को विदेश नीति में सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, जो इस यात्रा से फिर पुष्ट हुआ।
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भारत-चीन संबंध: तनाव से संवाद की ओर

2020 की गलवान झड़प और सीमा विवाद के बाद पहली बार भारत-चीन संबंध सामान्य होने के संकेत दे रहे हैं। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हाल ही में नई दिल्ली में 'कैंडिड' (खुली) बातचीत हुई, जिसमें 23वें विशेष प्रतिनिधि बैठक के निष्कर्ष लागू करने और सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति बनी।
जनवरी 2025 में सीधी उड़ानों के साथ व्यापार, पर्यटन एवं धार्मिक यात्राएं फिर शुरू हुई; भारत ने छह सालों बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए फिर अनुमति दी। दोनों देश अब व्यापार में 85 बिलियन डॉलर से अधिक की निर्भरता और निवेश सुरक्षा जैसे मुद्दों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण अपना रहे हैं। इसके अलावा, रूस-भारत-चीन ट्रॉयका के फिर सक्रिय होने और बहुपक्षीय संवाद की संभावना की पुष्टि हुई।
दोनोँ देशों का रुख अभी भी सतर्क और यथार्थवादी है, लेकिन अमेरिकी नीतियों और वैश्विक अस्थिरता के बीच इनका संवाद व्यावहारिक सुदृढ़ता की दिशा दिखाता है।
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निष्कर्ष

आज की तारीख में अंतरराष्ट्रीय फोकस तीन बड़े बिंदुओं पर है:
1. दक्षिण-पूर्व एशियाई सीमा विवाद (थाईलैंड-कंबोडिया) और उसका क्षेत्रीय शांति प्रयास।
2. भारत का समुद्री सामरिक विस्तार और मालदीव जैसे पड़ोसियों के साथ विश्वास बहाली।
3. भारत-चीन रिश्तों का 'तनाव से संवाद' की ओर जाना, जिसमें सीमाई प्रबंधन और बहुपक्षीय संवाद के नए रास्ते खुल रहे हैं।

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