गांव माजरा (नारनौंद) में बच्चों की शिक्षा के लिए दो लाइब्रेरी बनवाकर मिसाल बने सरपंच रामकेश
नारनौंद (हिसार)। शिक्षा को सर्वोपरि मानते हुए गांव माजरा के सरपंच श्री रामकेश ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक सराहनीय कदम उठाया है। उन्होंने गांव में एक नहीं, बल्कि दो-दो पुस्तकालयों (लाइब्रेरी) का निर्माण करवाकर पूरे क्षेत्र में मिसाल कायम की है।
आज जब ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा सुविधाओं की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, ऐसे समय में सरपंच रामकेश द्वारा यह पहल बच्चों को सशक्त और शिक्षित बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास है।
शिक्षा के प्रति समर्पण
सरपंच रामकेश ने बताया कि “गांव का भविष्य बच्चों में छिपा है। अगर उन्हें समय पर ज्ञान, संसाधन और माहौल मिले तो वे किसी से पीछे नहीं रहेंगे।” इसी सोच के साथ उन्होंने दो अलग-अलग स्थानों पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त लाइब्रेरी बनवाई हैं।
लाइब्रेरी की विशेषताएँ
- हर लाइब्रेरी में सैकड़ों किताबें – विद्यालय पाठ्यक्रम, प्रतियोगी परीक्षाएँ, सामान्य ज्ञान, कहानियाँ व प्रेरणादायक जीवनियाँ।
- शांत व स्वच्छ पठन-पाठन वातावरण।
- बैठने की पर्याप्त व्यवस्था।
- बालक-बालिकाओं दोनों के लिए समान सुविधा।
- ग्राम स्तर पर निःशुल्क उपयोग हेतु सभी के लिए खुला।
गांववासियों की प्रतिक्रियाएँ
गांव के युवाओं और अभिभावकों ने इस कार्य की भूरी-भूरी प्रशंसा की है। एक विद्यार्थी ने कहा, “अब हमें किताबें पढ़ने और परीक्षा की तैयारी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। सरपंच साहब ने हमारे लिए अनमोल तोहफा दिया है।”
शिक्षा की दिशा में नया अध्याय
यह पहल न केवल गांव माजरा के लिए, बल्कि आस-पास के गांवों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बनेगी। ग्रामीण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यदि हर पंचायत इस तरह सोचने लगे, तो शिक्षा क्रांति लाना कोई कठिन कार्य नहीं।
सरपंच श्री रामकेश को साधुवाद, जिन्होंने बच्चों के भविष्य को आकार देने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जय शिक्षा, जय ग्राम!