कोटा में 16 वर्षीय छात्र ने आत्महत्या की, 10वीं के परिणाम से था परेशान
राजस्थान के कोटा शहर में एक और दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां 16 वर्षीय छात्र अनिकेश ने बोर्ड परीक्षा में अपेक्षा से कम अंक आने के बाद आत्महत्या कर ली। यह घटना मंगलवार शाम को हुई, जब छात्र ने अपने पीजी के कमरे में फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। पुलिस द्वारा बुधवार को इस घटना की पुष्टि की गई।
अनिकेश मूल रूप से बिहार के जहानाबाद जिले का निवासी था और कोटा में रहकर आगे की पढ़ाई की तैयारी कर रहा था। मंगलवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित किए गए थे। अनिकेश को 10वीं कक्षा में 61% अंक प्राप्त हुए थे, जो उसके अनुसार बहुत कम थे। इस कारणवश वह मानसिक रूप से बेहद परेशान हो गया था।
पुलिस जांच में सामने आया है कि अनिकेश ने अपने परिणाम आने के कुछ ही घंटे बाद यह कठोर कदम उठाया। उसके कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, लेकिन उसके दोस्तों और परिजनों ने बताया कि वह परिणाम को लेकर बेहद तनाव में था। उसे डर था कि इतने कम अंकों से उसका भविष्य प्रभावित हो सकता है और वह अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया।
कोटा, जो कि देशभर में कोचिंग हब के रूप में जाना जाता है, पिछले कुछ वर्षों से छात्रों में मानसिक तनाव और आत्महत्याओं को लेकर चर्चा में रहा है। वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक कोटा में 16 छात्रों ने आत्महत्या की है, जो एक चिंताजनक आंकड़ा है। मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों का मानना है कि परीक्षा परिणाम, भविष्य की चिंता और सामाजिक अपेक्षाएं छात्रों पर अनावश्यक दबाव बनाती हैं।
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और कोचिंग संस्थानों में भी हलचल मच गई है। कोटा प्रशासन द्वारा छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कई बार दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन इस प्रकार की घटनाएं लगातार प्रशासन की तैयारियों और जागरूकता अभियानों की असफलता को उजागर करती हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अनिकेश के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है और उसके परिजनों को सूचित कर दिया गया है। प्रारंभिक जांच में कोई संदिग्ध बात सामने नहीं आई है, लेकिन मामले की पूरी छानबीन की जा रही है।
अनिकेश के परिजन और कोटा में रहने वाले उसके जानने वाले बेहद दुखी हैं। उसकी मां ने बताया कि अनिकेश पढ़ाई में अच्छा था लेकिन वह खुद से औरों की तुलना करता था। परिणाम के दिन भी वह शांत था, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा।
विशेषज्ञों की मानें तो इस उम्र में विद्यार्थियों को सहारे और संवाद की आवश्यकता होती है। वे कहते हैं कि परिणाम जीवन का अंत नहीं होते। जरूरी है कि अभिभावक और शिक्षक बच्चों को निरंतर यह विश्वास दिलाएं कि असफलता भी सीखने का एक चरण है।
कोटा प्रशासन ने इस घटना के बाद कोचिंग सेंटरों को छात्रों के लिए हेल्पलाइन शुरू करने और परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अभिभावकों से भी अनुरोध किया गया है कि वे अपने बच्चों से नियमित संवाद बनाए रखें और उन्हें भावनात्मक सहयोग दें।
यह घटना न केवल एक मासूम जीवन की क्षति है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि हम अपनी शिक्षा प्रणाली, माता-पिता की अपेक्षाओं और सामाजिक दबावों को फिर से मूल्यांकन करें। युवाओं को सिर्फ अंकों से नहीं, उनके आत्मविश्वास और मानसिक संतुलन से मूल्यांकन करना चाहिए।