भारत-पाक तनाव के बीच तोप गोला फैक्ट्रियों के कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ रहे सैन्य और कूटनीतिक तनाव के बीच भारत सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। देशभर में तोप के गोले और अन्य रक्षा सामग्री बनाने वाली सरकारी फैक्ट्रियों में कार्यरत कर्मचारियों की छुट्टियां तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई हैं। यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया है।
सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने सभी संबंधित संस्थानों को आदेश जारी कर दिया है कि कोई भी कर्मचारी छुट्टी पर नहीं जाएगा और वर्तमान में छुट्टी पर गए कर्मचारियों को भी तुरंत वापस बुलाया जाए। यह आदेश ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) के अंतर्गत आने वाली फैक्ट्रियों में लागू किया गया है, जो देश की रक्षा सामग्री उत्पादन की रीढ़ मानी जाती हैं।
सूत्र बताते हैं कि भारत-पाक सीमा पर लगातार बढ़ रही तनातनी, जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमलों और सुरक्षा बलों की बढ़ती तैनाती को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। अधिकारियों का मानना है कि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए गोला-बारूद का उत्पादन पूरी क्षमता पर होना बेहद आवश्यक है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला भारत की ‘war preparedness’ यानी युद्ध की तैयारी को दिखाता है। पाकिस्तान की ओर से बढ़ती गतिविधियों और LOC पर गोलीबारी की घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है।
रक्षा मंत्रालय का निर्देश: “देश की सुरक्षा सर्वोपरि है। सभी फैक्ट्रियों को 24 घंटे उत्पादन बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। किसी भी कर्मचारी को छुट्टी नहीं दी जाएगी और जो पहले से छुट्टी पर हैं, उन्हें तुरंत ड्यूटी पर लौटने को कहा गया है।”
गौरतलब है कि भारत में कई महत्वपूर्ण ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां हैं जो तोप के गोले, राइफल, मिसाइल के पुर्जे, टैंक और अन्य सैन्य उपकरणों का निर्माण करती हैं। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ये फैक्ट्रियां स्थित हैं।
इसके अलावा, सेना की तीनों शाखाओं—थलसेना, वायुसेना और नौसेना—को उच्च सतर्कता पर रखा गया है। रक्षा मंत्री और सेना प्रमुखों के बीच लगातार उच्चस्तरीय बैठकें चल रही हैं। सूत्रों के अनुसार, कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां भी भेजी गई हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: विपक्ष ने इस घटनाक्रम को गंभीर बताया है और सरकार से पारदर्शिता की मांग की है। कांग्रेस नेता ने कहा, “अगर सरकार को युद्ध जैसी स्थिति का अंदेशा है, तो उसे संसद और जनता को भरोसे में लेना चाहिए।” वहीं सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ता ने कहा कि भारत की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
जनता में चिंता: देशभर में लोग इस घटनाक्रम को लेकर चिंतित हैं। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने चिंता जताई है और सरकार से अपील की है कि शांति की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएं। हालांकि, कई नागरिकों ने सरकार के इस कदम का समर्थन भी किया है।
निष्कर्ष: भारत-पाक तनाव के इस दौर में भारत सरकार की ओर से लिया गया यह निर्णय यह संकेत देता है कि देश किसी भी हालात से निपटने को तैयार है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में सीमावर्ती हालात किस दिशा में जाते हैं।
— Today News Update