रामबन हादसा: सेना का वाहन 700 फीट गहरी खाई में गिरा, 3 जवान शहीद

रामबन हादसा: सेना का वाहन 700 फीट गहरी खाई में गिरा, 3 जवान शहीद | Today News Update

रामबन में सेना का वाहन 700 फीट गहरी खाई में गिरा, 3 जवानों की दर्दनाक मौत

जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में रविवार सुबह एक भीषण सड़क हादसे ने तीन जवानों की ज़िंदगियाँ लील लीं। सेना का वाहन अनियंत्रित होकर 700 फीट गहरी खाई में जा गिरा, जिससे मौके पर ही तीन जवानों की मौत हो गई। यह हादसा क्षेत्र के सुम्बर इलाके में हुआ, जो खतरनाक और घुमावदार रास्तों के लिए जाना जाता है।

कैसे हुआ हादसा?

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सेना का यह वाहन किसी नियमित पेट्रोलिंग या ट्रांसपोर्ट ड्यूटी पर था। जब यह वाहन रामबन के सुम्बर क्षेत्र से गुजर रहा था, तभी वह अचानक फिसल गया और खाई में जा गिरा। अनुमान के अनुसार, यह खाई करीब 700 फीट गहरी थी। वाहन के गिरते ही चारों ओर चीख-पुकार मच गई और मौके पर स्थानीय लोग तथा राहत दल पहुंच गए।

हादसे की सूचना मिलते ही सेना और पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। लेकिन खाई की गहराई और दुर्गम इलाका होने के कारण राहत कार्य में काफी कठिनाई आई।

तीन जवानों की मौके पर ही मौत

इस हादसे में सेना के तीन जवानों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य जवान गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिन्हें हेलीकॉप्टर के माध्यम से उधमपुर के आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सेना की ओर से शहीद जवानों के नामों की पुष्टि की जा रही है।

शहीद जवानों की पार्थिव देह को सैन्य सम्मान के साथ उनके गृह जिलों में भेजने की तैयारी की जा रही है। पूरे देश में इस हादसे पर शोक की लहर है और सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अपनी संवेदनाएं प्रकट की हैं।

सेना ने शुरू की जांच

सेना की ओर से इस दुर्घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। प्रारंभिक जांच में यह अंदेशा जताया जा रहा है कि खराब मौसम, सड़क की फिसलन और तीव्र मोड़ इस हादसे के कारण हो सकते हैं। साथ ही वाहन की तकनीकी स्थिति की भी जांच की जाएगी।

सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि सुरक्षा के मानकों का पूरा पालन किया जाता है, लेकिन ऐसे कठिन इलाकों में दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है।

रक्षा मंत्री ने जताया शोक

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर गहरा दुख जताते हुए ट्वीट किया, “रामबन में सेना के वाहन हादसे में हमारे तीन बहादुर जवानों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। राष्ट्र उनके बलिदान को हमेशा याद रखेगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि शोक संतप्त परिवारों को यह दुःख सहने की शक्ति दे।”

स्थानीय लोगों की भूमिका

हादसे के बाद क्षेत्र के स्थानीय निवासियों ने बहादुरी दिखाते हुए पहले राहत कार्य शुरू किया। लोगों ने रस्सियों और पारंपरिक तरीकों से घायलों को ऊपर लाने का प्रयास किया, जिसके बाद सेना की टीम ने कार्य संभाला। स्थानीय लोगों की तत्परता और सहयोग के लिए जिला प्रशासन ने आभार जताया है।

पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क हादसे चिंता का विषय

हिमालयी क्षेत्रों में आए दिन इस तरह के सड़क हादसे चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। दुर्गम सड़कें, पुरानी वाहन तकनीक, मौसम की मार और यातायात नियमों की अनदेखी इस तरह की घटनाओं के प्रमुख कारण हैं। विशेष रूप से सेना के काफिलों को अक्सर इन रास्तों से गुजरना पड़ता है, जिससे खतरा बढ़ जाता है।

सरकार से क्या अपेक्षा?

स्थानीय नागरिकों और सेना अधिकारियों का कहना है कि इन क्षेत्रों में बेहतर सड़क नेटवर्क, मजबूत रेलिंग और मौसम पूर्वानुमान आधारित ट्रैवल अलर्ट सिस्टम को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। साथ ही सेना के वाहनों की नियमित तकनीकी जांच और ड्राइवरों के लिए विशेष प्रशिक्षण भी समय की मांग है।

निष्कर्ष

रामबन हादसा न केवल एक दर्दनाक दुर्घटना है, बल्कि यह देश को यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमारे सैनिक किन कठिन परिस्थितियों में अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं। तीन जवानों की शहादत को देश कभी नहीं भूलेगा। यह घटना एक बार फिर यह याद दिलाती है कि हमें हमारे सशस्त्र बलों के प्रति न केवल सम्मान, बल्कि सुरक्षा और संसाधन के रूप में भी समर्थन देना होगा।

– Today News Update रिपोर्ट

Share:
Location: India India