छत्तीसगढ़: महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी में 15 फर्जी प्रोफेसर, जांच रिपोर्ट में खुलासा लेकिन कार्रवाई नहीं

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छत्तीसगढ़: महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी में 15 फर्जी प्रोफेसर, जांच रिपोर्ट में खुलासा लेकिन कार्रवाई नहीं

रायपुर, 16 जून 2025: छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठित मानी जाने वाली महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी एक बड़े घोटाले की चपेट में है। आरोप है कि विश्वविद्यालय में 15 ऐसे फर्जी प्रोफेसर नियुक्त किए गए हैं, जिनकी न तो पात्रता थी और न ही उनके चयन की प्रक्रिया पारदर्शी रही। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्यपाल द्वारा गठित जांच कमेटी ने भी इसकी पुष्टि कर दी है, लेकिन अब तक किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई कानूनी या प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की गई है।

जांच में हुआ बड़ा खुलासा

विश्वविद्यालय की नियुक्तियों को लेकर लंबे समय से सवाल उठाए जा रहे थे। छात्रों, शिक्षकों और सामाजिक संगठनों द्वारा की गई शिकायतों के बाद राज्यपाल ने एक विशेष जांच समिति का गठन किया। इस समिति ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि 15 प्रोफेसर ऐसे हैं जिनके शैक्षणिक दस्तावेज, अनुभव प्रमाण पत्र और चयन प्रक्रिया फर्जी पाई गई। यह रिपोर्ट लगभग दो महीने पहले राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपी गई थी।

35 लाख में बिका हर एक प्रोफेसर पद?

मामले में एक और सनसनीखेज पहलू सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक, हर एक फर्जी प्रोफेसर पद 35 लाख रुपये में बेचा गया। जिन योग्य अभ्यर्थियों को वास्तव में इन पदों के लिए चुना जाना था, उन्हें किनारे कर दिया गया और पैसे वालों को नियमों को ताक पर रखकर नियुक्त कर दिया गया। इस पूरे खेल में विश्वविद्यालय के कुछ शीर्ष अधिकारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है।

योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय

इस घोटाले से सबसे अधिक नुकसान उन उम्मीदवारों को हुआ है जो वर्षों की मेहनत और योग्यता के दम पर इस पद के लिए पात्र थे। इन अभ्यर्थियों ने उच्च स्तर की परीक्षा, इंटरव्यू और दस्तावेजी जांच सफलतापूर्वक पार की थी, लेकिन अंत में उन्हें यह कहकर बाहर कर दिया गया कि उनका चयन नहीं हो सका।

एक ऐसे ही अभ्यर्थी ने गुस्से में कहा, “अगर पद पहले ही पैसे लेकर बेच दिए जाते हैं, तो फिर इन परीक्षाओं, इंटरव्यू और योग्यता की प्रक्रिया का क्या मतलब? क्या यह देश सिर्फ अमीरों और जुगाड़ वालों का है?”

राज्यपाल की रिपोर्ट पर अब तक चुप्पी

चौंकाने वाली बात यह है कि जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बावजूद राज्य सरकार और उच्च शिक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ना तो किसी प्रोफेसर को निलंबित किया गया है और ना ही किसी अधिकारी से पूछताछ की गई है।

इस चुप्पी से शिक्षा जगत में बेचैनी और आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस घोटाले को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं और सरकार से जवाब मांगा जा रहा है।

शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार का बढ़ता दायरा

यह घटना दर्शाती है कि देश में शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में भी भ्रष्टाचार किस हद तक पैर पसार चुका है। विश्वविद्यालयों में फर्जी प्रोफेसरों की नियुक्ति केवल योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि इससे छात्रों की शिक्षा गुणवत्ता और भविष्य भी प्रभावित होता है

यदि ऐसे प्रोफेसर छात्रों को शिक्षा देंगे जिनके पास न तो विषय का ज्ञान है और न ही पढ़ाने का अनुभव, तो देश का बौद्धिक स्तर और शैक्षणिक गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित होगी।

जनता और छात्रों में आक्रोश

अब छात्र संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को लेकर आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि यदि एक सप्ताह के भीतर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो विश्वविद्यालय गेट पर धरना शुरू किया जाएगा और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

जनता की मांग है कि इस पूरे घोटाले की सीबीआई या उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच हो, और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। साथ ही, योग्य अभ्यर्थियों को उनका न्याय मिलना चाहिए।

क्या शिक्षा विभाग जागेगा?

अब सवाल यह है कि क्या राज्य सरकार और शिक्षा विभाग इस गंभीर मामले पर कार्रवाई करेगा? या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा?

देश की युवा पीढ़ी और छात्र समाज इस समय सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है। यह केवल छत्तीसगढ़ या एक यूनिवर्सिटी की बात नहीं है, यह पूरे शिक्षा तंत्र की साख और भरोसे का सवाल है।

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Location: India Haryana, India