नारनौंद में विवाहिता ने दहेज प्रताड़ना से तंग आकर की आत्महत्या, पति और सास पर केस दर्ज
हिसार, 11 जुलाई: हरियाणा के नारनौंद कस्बे से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है जहाँ दहेज प्रताड़ना से तंग आकर एक नवविवाहिता ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह मामला नारनौंद वार्ड नंबर 16 का है, जहाँ किराए के मकान में रह रही 21 वर्षीय ज्योति ने यह कठोर कदम उठाया।
पति और सास पर लगाया प्रताड़ना का आरोप
मृतका के मायके पक्ष का आरोप है कि ज्योति को लंबे समय से दहेज के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। शादी को अभी डेढ़ साल भी नहीं हुआ था, लेकिन आए दिन ससुराल वालों की तरफ से उसे ताना दिया जाता था और दहेज की मांग की जाती थी।
परिजनों का कहना है कि उन्होंने कई बार रिश्तों को बचाने के लिए समझौता किया, लेकिन हालात लगातार बिगड़ते चले गए। आखिरकार सोमवार देर रात ज्योति ने अपने कमरे में पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव लिया कब्जे में
घटना की सूचना मिलते ही नारनौंद थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर शहर के सामान्य अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।
पुलिस ने मृतका के भाई की शिकायत पर पति और सास के खिलाफ **दहेज प्रतिषेध अधिनियम** तथा **आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना)** और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल दोनों आरोपी फरार बताए जा रहे हैं।
मायके पक्ष में शोक और आक्रोश
मृतका के मायके पक्ष में शोक के साथ भारी आक्रोश भी है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
ज्योति के पिता ने बताया कि उनकी बेटी बहुत ही सीधी और संयमित स्वभाव की थी। वह हमेशा घर और परिवार को प्राथमिकता देती थी। उन्होंने दहेज में अपनी सामर्थ्य के अनुसार सामान दिया था, लेकिन ससुराल वालों की लालच कभी खत्म नहीं हुई।
महिला आयोग और प्रशासन का संज्ञान
घटना की जानकारी मिलने पर हरियाणा राज्य महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया है और स्थानीय प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। आयोग की सदस्य ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे ऐसे अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
न्यायिक जांच की उठी मांग
स्थानीय लोगों और महिला संगठनों ने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक घरेलू हिंसा का मामला नहीं, बल्कि सामाजिक सोच की विकृति है, जिसमें बेटियों को आज भी आर्थिक बोझ माना जाता है।
निष्कर्ष
नारनौंद में हुई यह घटना एक बार फिर से समाज को सोचने पर मजबूर करती है कि दहेज जैसी कुप्रथा आज भी बेटियों की जान ले रही है। कानून होने के बावजूद मानसिक प्रताड़ना और लालच के चलते आज भी अनेक विवाहिता महिलाएं असहाय महसूस करती हैं। अब समय आ गया है कि समाज को इस दिशा में जागरूक और संवेदनशील बनाया जाए।
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