चीन ने कहा - हम पाकिस्तान के साथ खड़े हैं | अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढ़ा

Today News update चीन ने कहा - हम पाकिस्तान के साथ खड़े हैं | अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढ़ा भारत की प्रतिक्रिया, वैश्विक प्रभाव और सामरिक रणनीतियों पर विस्तार से पढ़ें यह विश्लेषण।

चीन ने कहा - हम पाकिस्तान के साथ खड़े हैं | अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढ़ा

नई दिल्ली / बीजिंग: भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच चीन का एक बयान वैश्विक स्तर पर नई चिंता का कारण बन गया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि "चीन, पाकिस्तान के साथ खड़ा है और उसकी क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता का समर्थन करता है।"

चीन की ओर से आए बयान का संदर्भ

चीन ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाओं पर जबरदस्त तनाव है, और दोनों देशों के बीच मिसाइल हमले और जवाबी कार्रवाई की खबरें आ रही हैं। बीजिंग ने यह स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान 'चीन का रणनीतिक साझेदार' है और "किसी भी क्षेत्रीय तनाव की स्थिति में चीन चुप नहीं रहेगा।"

भारत की ओर से तीखी प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने चीन के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे "अनुचित और गैर-राजनयिक हस्तक्षेप" करार दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "भारत किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता। हमारी सीमाओं और रणनीतिक सुरक्षा पर हम पूरी तरह सक्षम हैं।"

भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसकी जवाबी कार्रवाई पाकिस्तान के 'आक्रामक सैन्य गतिविधियों' के जवाब में थी और इसका मकसद केवल राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

चीन-पाकिस्तान की रणनीतिक साझेदारी

ज्ञात हो कि चीन और पाकिस्तान के संबंध पिछले कई दशकों से घनिष्ठ रहे हैं। चीन द्वारा निर्मित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और ग्वादर पोर्ट जैसी परियोजनाएं दोनों देशों के बीच सहयोग का बड़ा उदाहरण हैं। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान को चीन द्वारा सैन्य उपकरण, फाइटर जेट, ड्रोन और मिसाइल टेक्नोलॉजी की आपूर्ति की जाती रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह बयान सिर्फ एक कूटनीतिक समर्थन नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत संकेत है कि यदि भारत-पाक संघर्ष और बढ़ता है, तो चीन अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष तौर पर हस्तक्षेप कर सकता है।

अमेरिका और रूस की प्रतिक्रिया

अमेरिका ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है और कहा है कि वह स्थिति पर नजर बनाए हुए है। व्हाइट हाउस ने एक आधिकारिक बयान में कहा, "हम किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई का समर्थन नहीं करते और चाहते हैं कि दोनों देश कूटनीतिक माध्यमों से समाधान निकालें।"

रूस ने भी चीन के बयान पर अप्रत्यक्ष प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि "किसी भी बाहरी शक्ति को दक्षिण एशिया की स्थिरता को भंग नहीं करना चाहिए।"

राजनीतिक विश्लेषकों की राय

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अलका राणा का मानना है कि यह बयान चीन की विस्तारवादी नीति का हिस्सा है। "चीन चाहता है कि वह एशिया में शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में बनाए और भारत को हर मोर्चे पर घेरने की नीति पर चल रहा है," उन्होंने कहा।

दूसरी ओर रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर (सेनि.) संजय कपूर का कहना है कि "भारत को अब अपने पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर चौकसी बढ़ाने की आवश्यकता है। चीन-पाक गठजोड़ केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रहेगा।"

आम जनता और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

भारत में इस बयान को लेकर आम जनता के बीच गुस्सा देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर #ChinaBacksTerror और #IndiaFirst जैसे ट्रेंड चल रहे हैं। भाजपा नेताओं ने भी चीन की आलोचना करते हुए कहा है कि भारत की अखंडता से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। कांग्रेस ने सरकार से रणनीतिक चुप्पी तोड़ने और संसद में बयान देने की मांग की है।

संभावित अंतरराष्ट्रीय असर

चीन के इस समर्थन से भारत को वैश्विक स्तर पर अपने सहयोगी देशों के साथ रणनीतिक समन्वय की आवश्यकता होगी। ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ क्वाड गठबंधन के जरिए भारत अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी भारत इस मुद्दे को उठा सकता है, विशेषकर चीन की क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाने वाली भूमिका को उजागर करते हुए।

निष्कर्ष

भारत-पाक तनाव पहले से ही संवेदनशील स्थिति में है और अब चीन की दखलंदाजी से मामला और भी गंभीर हो गया है। ऐसे में भारत को न केवल सैन्य स्तर पर बल्कि कूटनीतिक और वैश्विक मंचों पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट और मजबूत करनी होगी।

हालात अभी अनिश्चितता में हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि चीन-पाक गठबंधन से भारत को हर स्तर पर सतर्क रहना होगा। आने वाले कुछ दिन एशिया की भू-राजनीतिक दिशा तय कर सकते हैं।

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