पाक पीएम कार्यालय ने सैन्य प्रतिक्रिया को दी औपचारिक मंजूरी
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के कार्यालय ने आज एक बड़ा ऐलान करते हुए बताया कि देश की सेना को भारत के हमलों के जवाब में औपचारिक रूप से कार्रवाई की अनुमति दे दी गई है। इस घोषणा के साथ ही भारत-पाक संबंधों में एक बार फिर भारी तनाव उत्पन्न हो गया है और सीमा पर सैन्य गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि भारत द्वारा हाल ही में किए गए सैन्य हमलों को पाकिस्तान संप्रभुता के उल्लंघन के रूप में देखता है और इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसीलिए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की अनुशंसा पर पाकिस्तान की सेना को अब जवाबी कार्रवाई के लिए पूर्ण रूप से अधिकृत कर दिया गया है।
सेना को दी गई खुली छूट
घोषणा में स्पष्ट किया गया है कि पाकिस्तान की सैन्य नेतृत्व को अब यह अधिकार प्राप्त है कि वह भारत के किसी भी आक्रामक कदम का तत्काल और उचित जवाब दे सके। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है और कुछ इलाकों में गोलीबारी की घटनाएं भी सामने आई हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक के बाद लिया गया जिसमें प्रधानमंत्री शरीफ, सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर, रक्षा मंत्री और आईएसआई प्रमुख भी उपस्थित थे। बैठक में भारत द्वारा कथित रूप से किए गए सीमा पार हमलों की विस्तृत समीक्षा की गई और जवाबी रणनीति पर चर्चा की गई।
भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं
अब तक भारत सरकार की ओर से इस घटनाक्रम पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि भारतीय मीडिया में कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि भारतीय सेना ने सीमापार आतंकी गतिविधियों के जवाब में "सटीक स्ट्राइक" की थी।
भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाता रहा है, जबकि पाकिस्तान इन आरोपों को खारिज करता रहा है। ऐसे में यह नया घटनाक्रम दोनों देशों के बीच पहले से ही नाजुक संबंधों को और जटिल बना सकता है।
क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की आशंका
राजनीतिक और सामरिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान द्वारा सेना को जवाबी कार्रवाई की खुली छूट देने से दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति और गंभीर हो सकती है। इससे न केवल सीमा पर बल्कि दक्षिण एशिया के पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है।
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस स्थिति पर कड़ी नजर रख रही हैं। कूटनीतिक हलकों में यह चिंता जताई जा रही है कि अगर जल्द ही बातचीत या मध्यस्थता का रास्ता नहीं निकला, तो यह टकराव किसी बड़े संघर्ष का रूप ले सकता है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
अमेरिका, चीन और रूस जैसे प्रमुख वैश्विक ताकतों की भी इस पर प्रतिक्रिया आ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन देशों को जल्द ही दोनों पक्षों से बातचीत शुरू करने का आग्रह करना चाहिए ताकि स्थिति नियंत्रण से बाहर न हो।
हालाँकि, भारत-पाक के रिश्तों का इतिहास बताता है कि तनाव के ऐसे समय में कूटनीतिक संवाद अक्सर स्थगित हो जाते हैं और सैन्य तैयारियाँ तेज़ हो जाती हैं।
बहरहाल, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय की यह घोषणा निश्चित रूप से आने वाले दिनों में क्षेत्रीय समीकरणों को प्रभावित करेगी और सभी की निगाहें अब भारत की अगली प्रतिक्रिया पर टिकी हुई हैं।
संवाददाता – अंतरराष्ट्रीय डेस्क